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संबधी का ऋण कैसे लगता है और उसके क्या उपाय है

संबधी का ऋण 

    ग्रह संकेत : कुंडली के 1 या 7 घर में बुध और केतु दोनों बैठे हो तो मंगल पीड़ित हो जाता है और मंगल पीड़ित होने से सम्बंदित का ऋण पैदा हो जाता है। 


किसी मित्र या संबंधी को जहर खिलाने से, किसी की पकी- पकाई या फसल को आग लगा देने से , किसी की भैस बच्चा देने वाली हो, उसको मारने या मरवाने से , किसी के माकन में आग लगने से संबंधी का ऋण होता है। 

    पहचान : जातक अपने सगे - सम्बन्धियों से मेल - मिलाप नहीं रखता। उसने नफरत करता है। बच्चो का जन्मदिन नहीं मनाता। पर्व - त्योहार पर खुशिया नहीं मनाता। 



    अनिष्ट प्रभाव : बालिग होते ही जातक को मान - सम्मान प्राप्त होना शुरू हो जाता है। वह अपर सम्पति का मालिक बन बैठता है। जो लोग उनके रास्ते में रोडे खड़े करते है , वे खुद बर्बाद हो जाते है। सफलता निश्चित रूप से प्राप्त होती है और अचानक भाग्य पलट जाता है। मुसीबत पर मुसीबत आती है। मर्द होते हुए भी संतान नहीं होती। यदि हो जाती है तो जिन्दा नहीं रहती। जिन्दा रहती है तो अपाहिज हो जाती है। शरीर में रक्त की कमी हो जाती है। जोड़ो में दर्द होता है। एक आँख से वह काना हो जाता है बहुत क्रोध आता है। झगड़े करता है और दुसरो को पीटता है। 
    उपाय : परिवार के लोग समान रूप से पैसा इक्क्ठा करके गरीबो की दवा - दारु करने के लिए, वह पैसा वैध, हाकिम या डॉक्टर के सुपुर्द कर दे।  आखो में सफ़ेद सुरमा लगाने से भी जातक लाभान्वित होता है। 

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