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मातृ ऋण क्या है और इससे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?

मातृ ऋण 

संतान का जन्म होने के बाद माँ को घर से बाहर निकाल देना तथा परिवार से उसे अलग कर देना या उसे दुखी होने पर उसकी उपेक्षा करना इत्यादि कारणों से मातृऋण होता है। 



ग्रह संकेत : कुंडली के चौथे घर में केतु हो तो चंद्र पीड़ित होता है। 
पहचान : पडोसी के नदी या कुए के पानी का उपयोग गंदगी साफ करने के लिए या मल बहाने के लिए किया जा रहा होगा। 
अनिष्ट फल : अपने हाथो में कुछ न होने के करना जातक का सारा धन खर्च हो जाता है।  सम्पति नष्ट होने लगती है। घर में दुधारू पशु या घोड़े हो तो उनकी मृत्यु हो जाती है।  जातक की शिक्षा में अवरोध उत्पन्न होता है जो जातको की सहायता करना चाहता है उसका भी अनिष्ट होता है। घर का नल , तालाब या कुए का पानी सुख जाता है। जातक की विचारधारा और सहनशक्ति भी कमजोर हो जाती है। 


उपाय : परिवार के सभी सदस्य से चांदी इक्ट्ठी करके एक ही दिन , सब मिलकर पानी में प्रवाहित करे। बड़े - बूड़ो का आशीर्वाद ले और मातृ ऋण दूर होता है। 

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