ये हैं वे 16 पत्तियां जिनसे भगवान शिव-पार्वती होंगे प्रसन्न
हरतालिका तीज की पूजा में बेलपत्र, तुलसी, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम पत्ते, अशोक पत्ते, पान पत्ते, केले के पत्ते, शमी के पत्ते भोलेनाथ और पार्वती को विशेषतौर पर चढ़ाना चाहिए।
पति की दीर्घायु के लिए हरतालिका तीज 2022 किया जाने वाला व्रत हरितालिका तीजे इस वर्ष 30 अगस्त को मनाया जाएगा। हिन्दु पंचांग के अनुसार हर साल ये व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन किया जाता हैं।
आपको बता दें यह व्रत और इसकी पूजा बहुत ही कठिन मानी जाती है। महिलाएं अपने पति और परिवार की सेहत और दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं। वहीं कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना से यह व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं इस बार पूजा के लिए क्या शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। साथ ही जानें ग्रह संयोग।
तिथि:
तृतीया तिथि 29 अगस्त दिन सोमवार को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 30 अगस्त मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट रहेगी। उदयातिथि के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा।
हरतालिका तीज पूजा के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11ः33 से 12ः24 तक।
विजयी मुहूर्त - दोपहर 02ः05 से 02ः56 तक।
अमृत काल मुहूर्त - शाम 05ः38 से 075ः17 तक।
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06ः07 से 06ः31 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त - शाम 06ः19 से 07ः27 तक।
निशिथ मुहूर्त - रात्रि 11ः36 से 12ः21 तक।
हरितालिका तीज पर बनेंगे ये शुभ योग
इस दिन के शुभ योगों की बात करें तो 30 अगस्त को हस्त नक्षत्र रहेगा। इतना ही नहीं इस दिन पूरे दिन रवियोग और शुभ योग रहेगा। सूर्य सिंह में, बुध और चंद्र कन्या में, केतु तुला में, शनि मकर में, गुरु मीन में, राहु मेष में, मंगल वृषभ में और शुक्र कर्क में रहेगा।
पूजन सामग्री -
शिव-पार्वती और श्रीगणेशजी की मिट्टी की मूर्ति, पीला वस्त्र, दही, शहद, दूध, धतूरा, शमी के पत्ते, केले का पत्ता, जनेऊ, सुपारी, रोली, कलश, बेलपत्र, दूर्वा, अक्षत, घी, कपूर, गंगाजल, फुलहारा और 16 श्रृंगार का सामान।
हरतालिका तीज पूजा विधि
इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं सूर्योदय से पूर्व ही उठ कर। नहा कर पूरा श्रृंगार करती हैं।
पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी.शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
इसके साथ पार्वतीजी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है।
रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।
इस व्रत के व्रती को शयन का निषेध है इसके लिए उसे रात्रि में भजन.कीर्तन के साथ रात्रि जागरण करना चाहिए।
फिर अगले दिन प्रातःकाल स्नान करने के पश्चात् श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक किसी सुपात्र सुहागिन महिला को श्रृंगार सामग्री, वस्त्र, खाद्य सामग्री, फल, मिष्ठान्न एवं यथा शक्ति आभूषण का दान करना चाहिए।
रेत के शिवलिंग बनाए हैं तो उनका जलाशय में विसर्जन किया जाता है और खीरा खाकर इस व्रत की पूर्णता की जाती है।
इस दिन ॐ पार्वतीपतये नमः मंत्र का अधिक से अधिक जाप करना चाहिए।
क्या हैं इस व्रत के नियम -
इस दिन व्रत के कुछ नियम हैं जिन्हें निभाना चाहिए। नहीं तो व्रत के खंडित होने का डर रहता है।
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ये हैं वे नियम
क्रोध करने से बचें
ज्योतिषाचार्यों की माने तो तीज के व्रत के दौरान मन को शांत रखकर ही महिलाओं को मां गौरा की पूजा करना चाहिए। इस दिन किसी पर भी क्रोध करने से बचना होगा। आपके सभी के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए। हाथों पर मेंहदी लगाने से गुस्सा शांत होता है। यह हाथों को सुंदर बनाने के साथकृसाथ गुस्से को शांत रखने का भी काम करती है।
निराहार रहें
मान्यताओं के अनुसार हरितालिका तीज का व्रत निराहार रखना चाहिए। दिन में कुछ भी न खाएं। हालांकि कुछ विशेष स्थितियों में जैसे गर्भवती होने या बीमार होने पर इन इन नियमों में छूट दी जा सकती है। इस व्रत को अगर निर्जला किया जाता है तो इसका फल अधिक मिलता है।
सोने से बचें
इस व्रत में महिलाओं को सोना नहीं चाहिए। मान्यताओं को अनुसार इस दिन मां पार्वती और शिव की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
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मन में न लाएं बैर और द्वेष
धर्म विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी व्रत को सच्चे मन से पूरी श्रृद्धा और निष्ठा के साथ किए जाने पर ही उसका फल मिलता है। चूकिं हरितालिका तीज भी बहुत विधि.विधान से किए जाने वाला व्रत है। इसलिए मन में बैर लाए बिना सभी लोगों का सम्मान करें
माता पार्वती को राशिनुसार अर्पित करें ये चीजें
मेष, सिंह और धनु राशि की महिलाएं माता पार्वती को लाल चूड़ियां, सिंदूर और बिंदी आदि अर्पित करें.
वृष, कन्या मकर राशि की महिलाएं माता पार्वती को सुगंध और वस्त्र अर्पित करें.
मिथुन, तुला और कुंभ राशि की महिलाएं माता पार्वती को चांदी के आभूषण, विशेष तौर से बिछिया अर्पित करें.
कर्क, वृश्चिक और मीन राशि की महिलाएं माता पार्वती को रंग बिरंगे पुष्प और गुलाब का इत्र अर्पित करें.
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