ads

होलिका का दहन क्यों किया जाता है?

 होलिका दहन

होली आरम्भ होने से एक रात पहले लोग होलिका दहन (छोटी होली या कामदु की चिता) करते हैं। होलिका दहन में प्रह्लाद की भलाई और रक्षिका होलिका  को जलाना स्मरण किया जाता है। कहानी राक्षस राजा हिरण्यकश्यप और उसके पुत्र प्रह्लाद के साथ आरम्भ होती है। हिरण्यकश्यप ने पूरी पृथ्वी पर विजय प्राप्त की। उसे इतना अधिक घमण्ड हो गया था कि उसने अपने राज्य में हर किसी को केवल उसकी ही पूजा करने की आज्ञा दी। परन्तु उसे बड़ी निराशा तब हुई, जब उसके अपने ही पुत्र, प्रह्लाद ने ऐसा करने से मना कर दिया।



अपने पुत्र के स्पष्ट इन्कार से क्रोधित, हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मौत की सजा दी और उसे मारने के कई प्रयास किए, परन्तु वह सभी प्रयास विफल रहे। जहरीले सापों के काटने से, हाथियों द्वारा रौंदने से, प्रह्लाद सदैव बिना किसी परेशानी के बना रहा।

अंत में, हिरण्यकश्यप अपनी राक्षणी बहन होलिका की ओर सहायता के लिए मुड़ा। उसके पास एक लबादा था जिसके ओढने से आग का प्रभाव शून्य हो जाता है। इसलिए हिरण्यकश्यप ने होलिका को प्रह्लाद को जलाकर मारने के लिए कहा। होलिका एक चिता पर बैठी और मित्रता का नाटक करते हुए युवा प्रहलाद को अपनी गोद में ले लिया। फिर शीघ्रता से किए जाने वाले विश्वासघात में, उसने अपने परिचारकों को चिता को जलाने का आदेश दिया। यद्यपि, होलिका का लबादा उसके ऊपर से उतर गया और उसने प्रह्लाद को ढक लिया। आग की लपटों ने प्रह्लाद को नहीं जलाया, जबकि होलिका अपनी बुरी साजिश के साथ जल कर मर गई। इस प्रकार, होली दहन का नाम होलिका दहन से मिलता है।

shivay jyotish ph.9680894415

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Ads Section